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वक्त के पत्थर पर

“वक्त के पत्थर पर ,

आज भी कुछ खरोंचें दिखाई देती हैं।

देखना क्या तुम्हारे नाखूनों में ,

कुछ अधूरी बातें आज भी सांस लेती हैं ।”

निखिल