Aaj-Kuch-Sadkon-ne-Karwatein-Li-Hai (1)

आज कुछ सड़कों ने करवटें ली हैं

Genre: Poetry
Publisher: Hind Yugm Blue

‘अदृश्य’ की चाहत में भागती ज़िंदगी के हाथों से जाने कितने रिश्तों की डोर छूटी, जाने कितने रिश्तों ने गाँठ खोलकर तेज़ क़दम बढ़ा लिए, कुछ फंदे उलझकर गाँठ बन गए, कुछ समय की सलाई से छूट गए। कहते हैं चटके हुए घड़े के चारों तरफ़ रस्सी लपेट दो तो हल्का-हल्का पानी रिस-रिसकर उसकी ठंडक बनाए रखता है।

बस कुछ इसी तरह वक़्त के कुछ टुकड़ों को याद की कच्ची रस्सी से लपेट दिया और रिसने के दर्द की स्याही काग़ज़ों पर बिखरती रही, शब्द बनती रही और ज़िंदगी चलती रही। इन पन्नों में जो भी कुछ हैं उन्हें कविता तो नहीं कहा जा सकता, बस कुछ पल हैं जो सुस्ताने को ठहर गए हैं।आज कुछ सड़कों ने करवटें ली हैं

Reviews

A beautiful compilation of emotions.. the poems capture different aspects of ones life.. Definitely recommend.. five stars to the poet..
Niyati Grewal
Excellent piece of creativity and connect with heart
S Nand