
आज कुछ सड़कों ने करवटें ली हैं
Genre: Poetry
‘अदृश्य’ की चाहत में भागती ज़िंदगी के हाथों से जाने कितने रिश्तों की डोर छूटी, जाने कितने रिश्तों ने गाँठ खोलकर तेज़ क़दम बढ़ा लिए, कुछ फंदे उलझकर गाँठ बन गए, कुछ समय की सलाई से छूट गए |