वापसी paper

Share Post

वापसी

” अभी कुछ घंटों पहले ,

ट्रेन के आने का अनाउंसमेंट सुन कर ,

मैने अपने समान को झुक

कर हाथ ही लगाया था ।

और इस शहर की किताब के ,

आखरी पन्ने को बगैर बुक मार्क लगाए

बंद किया था ।

की अचानक फोन की स्क्रीन पर

फ्लैश होते तुम्हारे नाम को देख कर ,

कुछ ऐसा लगा

जैसे तुम्हारी यादों से भरे घर को ,

छोड़ने से पहले

मैं खाली तो कर आया था ,

मगर गलती से

चाभी शायद मेरे साथ आ गई थी ।

” दिल्ली एयरपोर्ट पर मेरा चंद घंटों का

वेटिंग है …….”

बगैर आगे कुछ सुने

” मैं पहुंचता हूं ” बोल कर मैंने फोन काट दिया था ।

मेरे जाने और तुम्हारे आने के बीच का ये वक्त ,

मैने ola में किस तरह बिताया ,

मुझे याद नहीं ,

मुझे सिर्फ और सिर्फ इतना याद है ,

की पिछली बार जब तुम मुझे

छोड़ कर जा रही थीं ,

ये वक्त तब भी ऐसे ही

बर्फ की तरह बूंद बूंद पिघला था ।

इससे पहले की मैं सहेज पाता

वो कुछ ,

जो मैं अपने पुराने घर में छोड़ आया था ,

तुम्हारी अगली फ्लाइट के अनाउंसमेंट ने ,

मुझे याद दिलाया

वापिस एयरपोर्ट से स्टेशन के रास्ते में ,

हमारा वो घर पड़ेगा ,

जहां शायद मुझे अब कुछ और यादें ,

दीवार पर सजानी हैं ।

इस बार पक्के से

मैं तुम्हारा नंबर ब्लॉक कर दूंगा ,

सिर्फ इसलिए की

तुम्हारे आने और जाने के बीच के वक्त में ,

मैं हमेशा अपनी ट्रेन का टिकट पर लिखा वक्त ,

भूल जाता हूं । “

निखिल

२९/०९/२२