पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ,
अधर की लाली बना लो सांवरिया ,
पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ,
पांच जोड़े जो बाबुल घर से लाई ,
वो भी आज मैं तज के आई ,
मुझको अपनी तान बना लो सांवरिया
पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ,
सुबह हुई थी अब सांझ भई है ,
व्यर्थ में ये देह बड़ा थकी है ,
अब तोड़ो ये घर द्वार सांवरिया ,
पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ,
जोग भी मैं , जोगन भी मैं हूं ,
तुम हो मेरा रास सांवरिया ,
पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ,
जल से भी मैं जल जल जाऊं ,
भर भर प्रेम की गगरी लाऊं ,
रहूं न अब कोई भाव सांवरिया
पीयू मत फूंको अब देह बांसुरिया ।